अजब ये मुल्क़ है ऐसा हम जहाँ पे रहते हैं,
इश्क़ छुपके यहाँ, नफ़रत खुलेआम होती है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अजब ये मुल्क़ है ऐसा हम जहाँ पे रहते हैं,
इश्क़ छुपके यहाँ, नफ़रत खुलेआम होती है…!!
जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,
बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!
ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे ,
अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो..
पता नही होश मे हूँ…..
या बेहोश हूँ मैं…..
पर बहूत सोच …….
समझकर खामोश हूँ मैं.
मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..
जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!
अब न ख्व़ाबों से, ख़िलौनों से, बहल पाऊँगा,
वक़्त गुम हो गया, मुझसे मेरा बचपन लेकर
बरकरार रख तू अपना हौंसला हर कदम पर
पत्थरों पर अभी किस्मत आजमाना बाकी है..
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती.
जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दुंगा ,
पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है..