बड़ी चुगलखोर हैं खामोशियाँ तुम्हारी
सब बता देती हैं जब तुम खामोश होते हो !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बड़ी चुगलखोर हैं खामोशियाँ तुम्हारी
सब बता देती हैं जब तुम खामोश होते हो !!
आज मुझसे पूछा किसी ने कयामत का मतलब ,
और मैंने घबरा के कह दिया रूठ जाना तेरा !!
फिर छीन रखे हैं होश हवास यादों ने उनकी
यहीं हाल रहा तो इक दिन फ़ना हो जायेंगें हम|
शक से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते..
कसूर हर बार गल्तियों का नही होता|
दिल तोड़ के जाने वाले सुन !
दो और भी रिश्तें बाक़ी हैं|
एक सांस की डोरी अटकी है
एक प्रेम का बंधन बाक़ी है
आज ख्वाब में आना जरूर,
सिर्फ तुमसे मिलने के
लिए रोज सोता हूँ|
भूख फिरती है मेरे शहर में नंगे पाँव..
रिज़्क़ ज़ालिम की तिजोरी में छिपा बैठा है।
खामोश सा माहोल
और बैचन सी करवट हैं,
ना आँख लग रही हैं,
ना रात कट रही हैं…
क्यों बनाते हो गजल मेरे अहसासों की
मुझे आज भी जरुरत है तेरी सांसो की
अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ…
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कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ..!!