कुछ तब्दिलियाँ और समझौते कर लिए हैं
हालात – ए ज़िदंगी से हमने
अब आकाश में मौन तलाशते हैं
और पीछे मुड़ कर देखने की आदत छोड़ दी है !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ तब्दिलियाँ और समझौते कर लिए हैं
हालात – ए ज़िदंगी से हमने
अब आकाश में मौन तलाशते हैं
और पीछे मुड़ कर देखने की आदत छोड़ दी है !!
क्या ऐसा नही हो सकता …..
हम प्यार मांगे, और तुम गले लगा कर कहो….
“और कुछ”
कौन कहता है तस्वीरें जुआ नहीं खेलती…
हर दिल हारा है… तेरी सूरत देखकर…!!!
थोड़ी सी तकलीफ थोड़ी सी
तन्हाई रहती है हरदम..
हां…मैं उसकी यादों के
बाजार में टहलता हूँ।
बात मोहब्बत की थी,
तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे……!
जिस्म से प्यार होता तो….
तुझ से भी हसीन
चेहरे बिकते है,बाजार में….!!
हो सके तो,
अब के कोई सौदा न करना…………!!
.
मैं पिछली मोहब्बत में,
सब हार आया हूँ…………
धड़कनें गूंजती हैं सीने में
इतने सुनसान हो गए हैं हम|
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से।
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए|
हुआ था शोर पिछली रात को……
दो “चाँद” निकले हैं,
बताओ क्या ज़रूरत थीं
“तुम्हे” छत पर टहलने की
बड़े सुकून से वो रहता है
आज कल मेरे बिना,
जैसे किसी उलझन से
छुटकारा मिल गया हो उसे…