आदत छोड़ दी है

कुछ तब्दिलियाँ और समझौते कर लिए हैं

हालात – ए ज़िदंगी से हमने
अब आकाश में मौन तलाशते हैं

और पीछे मुड़ कर देखने की आदत छोड़ दी है !!

बात मोहब्बत की थी

बात मोहब्बत की थी,

तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे……!

जिस्म से प्यार होता तो….

तुझ से भी हसीन

चेहरे बिकते है,बाजार में….!!

हो सके तो

हो सके तो,

अब के कोई सौदा न करना…………!!
.
मैं पिछली मोहब्बत में,

सब हार आया हूँ…………

हुआ था शोर

हुआ था शोर पिछली रात को……

दो “चाँद” निकले हैं,
बताओ क्या ज़रूरत थीं

“तुम्हे” छत पर टहलने की