हज़ारो ना-मुकम्मल हसरतों के बोझ तले,
ऐ दिल तेरी हिम्मत है, जो तू धड़कता है |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हज़ारो ना-मुकम्मल हसरतों के बोझ तले,
ऐ दिल तेरी हिम्मत है, जो तू धड़कता है |
जरुरी नही हर बात पे तुम कहा मनो,
देहलीज़ पे रख दी है चाहत आगे तुम जानो
Bohat See Baate’n Soch Rakhi Hai Tumhain
Sunane Key Liye…!!
Aur Ak Tum Ho Key Aate Hi
Nhi Ho, Mnaane Key Liye…!!
मेरी मोहब्बत तो मुकम्मल थी जो चार दिन मिला
प्यार तेरा
तेरे जिस्म की चाहत तो थी ही नहीं, तेरे अलगाव को कैसे मैं
बेवफाई कह दूं
मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो……..
दिल बैचैन हैं बहुत, कहीं तुम उदास तो नहीं
सजा यह मिली की आँखों से नींद
छीन ली उसने,
जुर्म ये था की उसके साथ रहने का ख्वाब देखा था |
कल शाम दिल के साथ बुझ इस तरह चराग़
यादों के सिलसिले भी उजाला न कर सके
जो छत हमारे लिए भी यहाँ दिला पाए
हमें भी ऐसा कोई संविधान दीजिएगा
काश तुम मेरे होते
सांस ही थम जाती अगर ये अल्फाज तेरे होते
वो कितना
मेहरबान था,कि हजारों गम दे गया यारों,
हम कितने खुदगर्ज
निकले,कि कुछ ना दे सके,
मोहब्बत के सिवा….