ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई,
जो आदमी भी मिला, बन के इश्तिहार मिला।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई,
जो आदमी भी मिला, बन के इश्तिहार मिला।
याद ही नहीं रहता कि लोग
छोड़ जाते हैं.आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया.
तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना,
खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है…
आप मुझ से, मैं आप से गुज़रूँ….
रास्ता एक यही निकलता है…..
चलो तोड़ते हैं आज मोहब्बत के सारे के उसूल अपने,
अब से बेवफाई और दगाबाज़ी दोनों हम करेंगे!
शौक का बार उतार आया हूँ..
आज में उस को हार आया हूँ..
उफ़्फ़..! मेरा आज मैकदे आना..
यू तो में कितनी बार आया हूँ..
यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के, किस्से बहुत से……………!!
मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके, नई कहानी लिखनी
Fakat ek khwaab ko haqeeqat bnaane ki zidd me. . . . . . .
Neendon se dushmani ek umr nibhaai hai maine..
Behissab thi mohbbt..
Bepnaah tha ishk mera..
Besabab hi sahi .par mera
Intezar bhi bemisaal hoga.
Mere Zism pe teri Bewafai ke Zakhm the,
Aaj maikhane me Sharab se dhokar aaya hun..!!!