कैसे कह दूं

कैसे कह दूं की महंगाई बहुत है। मेरे शहर के चौराहे पर आज भी एक रूपये मे कई दुआएँ मिलती है।।

गलत सुना था

गलत सुना था कि,
इश्क़ आँखों से होता है
दिल तो वो भी ले जाते है,
जो पलके तक नही उठाते है..।।

वो भी रो देगा

वो भी रो देगा उसे हाल सुनाएँ कैसे !
मोम का घर है चिरागों को जलाएं कैसे !
दूर होता तो उसे ढूंढ लेते !
रूह में छुप के बैठा है उसे पाएं कैसे !!

अहद-ए-वफा

अहद-ए-वफा निभा कर भी हम हो गये रुसवा..

वो जालिम अपनी जफाओं पर पशेमां तक ना हुआ..