मुहब्बत की जुबान

मुहब्बत की जुबान

यहां तक आये हो कुछ ज़ुबान से कह दो
लफ्ज़ मुहब्बत नहीं कह सकते सलाम तो कह दो

पलकें तो उठाओ अपनी इतनी भी हया कैसी
ज़ुबान से नहीं कुछ कहते निगाह से ही कह दो

दिल को यकीन आये कहदो आप हमारे हो
अपने लिखे खतों का जवाब साथ लाए हो|

प्यार को लफ्ज़ो में

प्यार को लफ्ज़ो में न बयाँ कर सकते कभी
इसे बस महसूस करो,एहसास ही रहने दो?
धड़कते दिल को जिस्मी सकून मिलता जो
नश नश में हकिकी रवानगी,इश्क रहने दो!

सड़क पर क्यूँ ले

सड़क पर क्यूँ ले आया तू मोहब्बत के वो घर
उन चौखटों से इश्क की वो अजान कहाँ गयी,
कभी मुस्कुरा लिया करते थे उसको याद कर,
अब उसकी याद में डूबी वो सर्द शाम कहाँ गयी |

जिनके दिल पे लगती है

जिनके दिल पे लगती है चोट
वो आँखों से नही रोते.
जो अपनो के ना हुए, किसी के नही होते,
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है,
की सपने टूट जाते हैं
पर पूरे नही होते।।