टूट सा गया है मेरी चाहतो का बजूद,,
अब कोई अच्छा भी लगे
तो हम इजहार नहीं करते ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
टूट सा गया है मेरी चाहतो का बजूद,,
अब कोई अच्छा भी लगे
तो हम इजहार नहीं करते ..
तुझे क्या लगता है मुझे तेरी याद नही आती……… पागल….. अपनी बर्बादी को कौन भुल सकता है|
आदत नही है ….पीठ पीछे वार करने की .. दो शब्द ….. कम बोलते है …पर सामने बोलते है ..
खेलने दो उन्हें जब तक जी न भर जाए उनका,
मोहब्बत 4 दिन की थी तो शौक कितने दिन
का होगा…..
मेरी खता इतनी थी की जीना ना आया
दिमाग वालो की बस्ती थी और
मुझे दिल को कहाँ रखना हैं समझ ना आया।
ना थी मेरी तमन्ना कभी तेरे बगैर रहने की लेकिन,
मज़बूर को, मज़बूर की, मज़बूरियां, मज़बूर कर देती है….!!
आसान नही है हमसे यूँ शायिरयों में जीत पाना।
हम हर एक शब्द मोहब्बत में हार कर लिखते हैं।।
तेरे अहसास की खुश्बू इस कदर भर गयी है…..
इत्र कोई भी हो मुझमे महकते तुम ही हो…..
सांसों की महक हो या चेहरे का नूर……चाहत है आपसे इसमें मेरा क्या कसूर..…
जो उड़ गए परिन्दे उनका अफ़सोस क्यों करूँ,
यहाँ तो पाले हुए भी गैरों की छतों पर उतरते हैं|