जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं,
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं…..
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ,
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं,
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं…..
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ,
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं
राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है ।
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है ।
रूह में बसा करते थे हम कभी….
अब लफ़्ज़ों में भी रहते नहीं…….
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
कल मिले थे राह में, बस नज़रो से बात की,
ये वक़्त का तकाज़ा है, वो इशारा नही करते…!!!
दिल में बुराई रखने से बेहतर है
आप अपनी नाराज़गी जाहिर कर दें
अच्छा हुआ की पंछियों के मज़हब नहीं होते,
बरगद भी परेशां हो जाता, मसले सुलझाते सुलझाते।
तुम्हे देखने की तमन्ना है इस दिल में ,
तुम्हे छू सकूँ तो बड़ी बात होगी ,
उस पल के सदके मैं सब कुछ लुटा दूँ ,
जिस पल हमारी मुलाकात होगी!!!!
अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है…..
कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…
औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में।
खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में।
और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में।
गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।