कितने सालों के इंतज़ार

कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ । उसने जब पूछा कहो कैसे आना हुआ|

तेरी जगह आज भी

तेरी जगह आज भी कोइ नहीं ले सकता, पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमी।

ऐ मेरे पाँव के छालों

ऐ मेरे पाँव के छालों ज़रा लहू उगलो.., सिरफिरे मुझसे सफ़र के निशान माँगेगे..!!

चाहतों में मिलावट थी

अपनों की चाहतों में मिलावट थी इस कदर की मै तंग आकर दुश्मनों को मनाने चला गया |

कोशिश न कर

कोशिश न कर, तू सभी को ख़ुश रखने की, नाराज तो यहाँ, कुछ लोग… खुदा से भी हैं….!!

मुझे चाह नहीं कि

मुझे चाह नहीं कि मुझे कोई पहचानें.. बस, मेरी नज़रें किसी को भूल न पाएं!!

अरसा हो गया

अरसा हो गया पैरो को मिट्टी छुए हुए … बढ़ गयी हैं ज़मीं से कुछ इस कदर दूरियाँ …

कच्चे रंगों वाली

कच्चे रंगों वाली तितली क्या जाने… कि बारिश का भी साथ निभाना है उसे…

इश्क के ढाई अक्षर

सवा तुम लिख दो,सवा हम लिख दें….. चलो आज इश्क के ढाई अक्षर मुकम्मल लिख दें !!

गहरा है मेरे ख़यालात

गहरा है मेरे ख़यालात का पानी… ज़रा सम्हल कर उतरना… वापसी न हो सकेगी…

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