मैं जल्द ही

मैं जल्द ही आऊंगा सावन की घटा बनकर तुम मौसम ए गर्मा की कुछ प्यास बचा रखना|

यूँ तो हैरान गुनाहों पे

यूँ तो हैरान गुनाहों पे ज़माना है मगर जुर्म ऐसा भी कोई हो कि ख़ुदा चौंक पड़े|

जाने वाला देखिये

जाने वाला देखिये क्या क्या निशानी दे गया आख में आंसू दिए लब पर कहानी दे गया|

तारीफ़ अपने आप की

तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है… ख़ुशबू तो ख़ुद बताएगी, कौन सा फ़ूल है…

उसने कहा हमसे

उसने कहा हमसे.. हम तुम्हें बर्बाद कर देंगे… हमने मुस्कुरा के पूछा… क्या तुम भी मोहब्बत करोगे अब हमसे..?

बहुत सताता है

कभी-कभी बहुत सताता है यह सवाल मुझे.. हम मिले ही क्यूं थे जब हमें मिलना ही नहीं था…

सच्ची महोब्बत को

सच्ची महोब्बत को कब मुकाम मिला न मीरा को मोहन मिला न राधा को श्याम मिला |

तू नही तो

तू नही तो तो तेरे बिन दस बीस भी हो तो क्या इक्कीस हो बाईस हो तेईस हो तो क्या…

तरक्की की फसल

तरक्की की फसल हम भी काट लेते, थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते…. हाँ ! बस मेरे लहजे में “जी हुजूर”न था, इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था.. अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता, यकीन मानिए,मै कब का वजीर हो जाता…..

तेरी आरजू न गयी

तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी, मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी, इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने, मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी…

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