गुजरूँगा तेरी गली से अब गधे लेकर
क्यों कि तेरे नखरों के बोझ
मुझसे अब उठाए नहीं जाते….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुजरूँगा तेरी गली से अब गधे लेकर
क्यों कि तेरे नखरों के बोझ
मुझसे अब उठाए नहीं जाते….
आईना साफ किया तो “मैं” नजर आया।
“मैं” को साफ किया तो “तू” नजर आया।।
एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।
शब्द तो शोर है तमाशा है
भाव के बिंदु का बिपाशा है
मरहम की बात होठो से ना करो
मोन ही तो प्रेम की परिभाषा |
तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई हुयी साहिर आँखें..
तुझ को मालूम है क्यों उम्र गवाँ दी हमने…
न चमन है , न गुल है ,न मौसम-ए-बहार है
मेरी भी जिंदगी क्या खूब है – सिर्फ इन्तजार है।
कैसे ज़िंदा रहेगी तहज़ीब ज़रा सोचिये…..
पाठशाला से ज़्यादा तो मधुशाला है शहर में..
आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते,
जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!!
ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों…
की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं…
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं…..
हारने के बाद इंसान नहीं टूटता…..
हारने के बाद लोगों का रवय्या उसे टूटने पर मज़बुर करता है…..