मैं इंतजार का क़ायल ना था
मगर तुमने लगा दिया मुझे दीवार से घड़ी की तरह|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैं इंतजार का क़ायल ना था
मगर तुमने लगा दिया मुझे दीवार से घड़ी की तरह|
दिल में कौन बसा है…
ये राज सिर्फ धडकनें जानती हैं…
तुम कहो तो मर भी जाऊँ मैं मगर इक शर्त है,
बस कफ़न के वास्ते आँचल तुम्हारा चाहिए|
उनकी तासीर बेहद कड़वी होती है…
जिनकी गुफ्तगु ,शक्कर जैसी होती है…
इश्क की दुकानदारी में घाटा बहुत हैं….
कोई नही खरीदता अश्को के मोती यहाँ… !!
न हाथ थाम सके और न पकड़ सके दामन,
बहुत ही क़रीब से गुज़र कर बिछड़ गया कोई !!
सजदों में गुज़ार दूँ अपनी सारी ज़िन्दगी ‘फ़राज़’
एक बार वो कह दें कि मुझे दुआओं से मांग लो|
रंग तेरी यादो का ना उतरा अब तक.. लाख बार खुद को आँसुओ से धोया हमने..
बदल जाऊँगा मैं भी इक दिन पूरी तरह,तुम्हारे लिये न सही…तुम्हारी वजह से यकीनन!!!
वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह..फिर हल्का सा मुस्कराया, और कहा, मोहब्बत की थी ना…