उसी को लिख लिख कर मिटा रहा हूँ,जिसे मिटाकर आज तक कुछ लिखा नही मैंने।
Category: Hindi Shayris
फुर्सत में कभी
फुर्सत में कभी तुझपे.एक कलाम लिखेंगे
कभी आना मेरे शहर तुम पे शाम लिखेंगे|
ख़त्म होती हुई
ख़त्म होती हुई इक शाम अधूरी थी बहुत…
ज़िंदगी से ये मुलाक़ात ज़रूरी थी बहुत…
दो लफ्ज़ तुम्हें
दो लफ्ज़ तुम्हें सुनाने के लिए…
हज़ारों लफ्ज़ लिखे ज़माने के लिए|
एक ताबीज़ तेरी
एक ताबीज़ तेरी मेरी मोहब्बत को भी
चाहिए…
थोड़ी सी दिखी नहीं कि, नज़र लगने
लगी…
एहसान ये रहा
एहसान ये रहा मुझ पर तोहमत लगाने वालों का..उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया..
मै तो अपनी ही
मै तो अपनी ही नादानियों पर हँस
लेता हूं…..!!
और ज़माना पूछता है इतनी ख़ुशी लाते कहा से हो……?
मेरी आँखों में
मेरी आँखों में आँसू नहीं, बस कुछ “नमी” है.. वजह तू नहीं, तेरी ये “कमी” है..
बिक जायें बाज़ार में
बिक जायें बाज़ार में हम भी,लेकिन उस से क्या होगा
जिस कीमत पर तुम मिलते हो,उतने कहाँ है अपने दाम !!
हर पन्ना तेरे नाम से
हर पन्ना तेरे नाम से रंग दिया है,
मेरी डायरी से पुछ मोहब्बत क्या है|