ये उदासियां ही इश्क की पहचान हैं…,
गर मुस्करा दिये..
तो इश्क बुरा मान जायेगा !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये उदासियां ही इश्क की पहचान हैं…,
गर मुस्करा दिये..
तो इश्क बुरा मान जायेगा !!
कर लो इज़ाफ़ा तुम अपने गुनाहों में,
मांग लो एक बार हमको दुआओं में …
फिर न सिमटेगी मोहब्बत जो बिखर जायेगी !
ज़िंदगी ज़ुल्फ़ नहीं जो फिर से संवर जायेगी !
थाम लो हाथ उसका जो प्यार करे तुमसे !
ये ज़िंदगी फिर न मिलेगी जो गुज़र जायेगी !!
मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है !
क्यों की जब तुम्हारी याद आती है !
तो घर अच्छा नही लगता !!
अकेले ही काटना है मुझे जिंदगी का सफर..पल दो पल साथ रहकर मेरी आदत ना खराब कर..
मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है !
ज़िद तो उसकी है जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं !!
क्या ख़ाक तरक़्क़ी की आज की दुनिया ने…
मरीज़-ए-इश्क़ तो आज भी लाइलाज बैठे हैं!!!
मैं था एक अड़ियल ख़ामोशी, वो एक ज़िद्दी चीख थी
मेरी भी गलती नहीं थी, वो भी अपनी जगह ठीक थी।
नजर अंदाज करने कि कुछ तो वजह बताई होती ……
अब में कहाँ कहाँ खुद में बुराई ढूँढू …!!
हर रिश्ते का नाम मोहब्बत हो ये जरुरी तो नही..
कभी कभी कुछ बेनाम रिश्तों के लिए भी दिल बेचैन रहता है…