हम अपने रिश्तो के लिए वक़्त नहीं निकाल सके
फिर वक़्त ने हमारे बीच से रिश्ता ही निकाल दिया|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम अपने रिश्तो के लिए वक़्त नहीं निकाल सके
फिर वक़्त ने हमारे बीच से रिश्ता ही निकाल दिया|
घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा
ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है|
तेरे हुस्न से कितना मुख़्तलिफ़ तेरी ज़ात का पहलू
इतने नर्म होंठो से कितना सख़्त बोलते हो तुम|
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से तेरी यादों का सिलसिला,
गुफ्तगू जिससे भी हुई पर खयाल तेरा ही रहा…!!
मतलबी दुनिया के लोग खड़े है,हाथों में पत्थर लेकर ,.,
मैं कहाँ तक भागूं ,शीशे का मुकद्दर लेकर..
जिंदगी मे बस इतना कमाओ की.. जम़ीन पर बैठो तो.. लोग उसे आपका बडप्पन कहें.. औकात नहीं…..
अपनी हालत का खुद को एहसास नहीं है मुझको….मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं…..!!!!
वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब,,
कि इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें…??
तेरी सूरत को जब से देखा है,
लोग मेरी आंखो पे मरते है..!!
आज एक दुश्मन ने धीरे से कान में कहा,
यार इतना मत मुस्कुराया कर बहोत जलन होती है !!