यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है..
चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है..
चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है !!
जेब में कई बार हाध डाला कुछ न था
शायद किसी मजबूर की आहों का धुवाँ था|
वाह मेरे महबूब बड़ी जल्दी ख्याल आया मेरा..
बस भी करो चूमना..
अब उठने भी दो जनाज़ा मेरा..
अमीरी जब तक अपने शौक़ पूरे कर सोती है ।
मुफ़लिसी जाग जाती है एक और दिन के लिए ।।
एक जैसी ही दिखती थी.. माचिस की वो तीलियाँ..
कुछ ने दिये जलाये.. और कुछ ने घर..!
रुतबा तो..
ख़ामोशीयों का होता है
अलफ़ाज़ तो
बदल जाते हैं
लोग देखकर…
शाम को तेरा हंस के मिलना ..
दिन भर की मजदूरी है !
मुझसे बातें करके देखो
अक्सर …
मैं बातों में आ जाता हूँ…
अकेले बैठोगे, तो मसले जकड लेंगे.,
ज़रा सा वक़्त सही , दोस्तों के नाम करो
जिस्म का दिल से अगर वास्ता नहीं होता !
क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता