छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
मेरी मासूम मोहब्बत ,
की गवाही न मांग मेरी पलकों पे सितारों ने इबादत की है…
जिसे शिद्दत से चाहो , वो मुद्दत से मिलता है ,
बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई शिद्दत सै चाहने वाला|
इन जागी आँखों पे लिपटी आँसुओं की चादर…
तेरे तोहफ़ों ने हमसफ़र हमें ‘सफ़र’ बना दिया…
चल पडी है मेरी दुआए असर करने को….
तुम बस मेरे होने की तैयारी कर लो…!!
मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से
जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ|
वक़्त बेनूर को नूर बना देता है,
वक़्त फकिर को हुजूर बना देता है,
वक़्त की कदर करो ऐ दोस्तो,
क्योंकि
वक़्त कोयले को भी कोहिनुर बना देता हैं ।
गरीब तो रोज ही कल की चिंता में सोता है !
आज अमीरो की बारी है !
छोड़ दिया सबको बिना वजह तंग करना,
जब कोई अपना समझता ही नहीं तो उसे अपनी याद क्या दिलाना !!
कब लोगों ने अल्फ़ाज़ के पत्थर नहीं फेंके
वो ख़त भी मगर मैंने जला कर नहीं फेंके
ठहरे हुए पानी ने इशारा तो किया था
कुछ सोच के खुद मैंने ही पत्थर नहीं फेंके
इक तंज़ है कलियों का तबस्सुम भी मगर क्यों
मैंने तो कभी फूल मसल कर नहीं फेंके
वैसे तो इरादा नहीं तौबा शिकनी का
लेकिन अभी टूटे हुए साग़र नहीं फेंके
क्या बात है उसने मेरी तस्वीर के टुकड़े
घर में ही छुपा रक्खे हैं बाहर नहीं फेंके
दरवाज़ों के शीशे न बदलवाइए नज़मी
लोगों ने अभी हाथ से पत्थर नहीं फेंके|