मुमकिन नहीं है

मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए, किस्से
लिखना……….!!
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी, महफ़िल सजाना सीख
लो…….!!

कर्म भूमि पर

कर्म भूमि पर फल के किये श्रम सबको करना पड़ता है..
रब सिर्फ लकीरें देता है, रंग हमें खुद भरना पड़ता है !!

आशिक था जो

आशिक
था जो मेरे अन्दर वो कई साल पहले मर गया…!अब
तो एक शायर है,
जो बहकी बहकी बाते करता है..!!