सोचा कि बढ़ चलें अब दिल को संभाल के…
लो, फिर से रो गये वो कलेजा निकाल के…
Category: Hindi Shayri
तुम से हमारा
तुम से हमारा वास्ता इतना ही रह गया है क्या…
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हम ने सलाम कर लिया, तुम ने जवाब दे दिया…!!!
फरेबी भी हूँ
फरेबी भी हूँ,ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते करते…
न तेरी अदा
न तेरी अदा समझ में आती है ना आदत ऐ ज़िन्दगी,
तू हर रोज़ नयी सी,हम हर-रोज़ वही उलझे से..
मेरे हिस्से का
मेरे हिस्से का वक़्त कहाँ रखते हो ?
देखो तो सही …
इक समुन्दर उग आया होगा वहां…
ये इंतिज़ार सहर का था
ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था,
दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी मैंने…
तबाह कर गई
तबाह कर गई पक्के मकान की ख़्वाहिश,
मैं अपने गाँव के कच्चे मकान से भी गया…
मैं मुसाफ़िर हूँ
मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे,
तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..
गलत कहते है
गलत कहते है लोग की सफेद रंग मै वफा होती है यारो,
अगर ऐसा होता तो आज “नमक”, जख्मो की दवा होती…!
हवा दुखों की
हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह|