फरेबी भी हूँ

फरेबी भी हूँ,ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते करते…

न तेरी अदा

न तेरी अदा समझ में आती है ना आदत ऐ ज़िन्दगी,
तू हर रोज़ नयी सी,हम हर-रोज़ वही उलझे से..

गलत कहते है

गलत कहते है लोग की सफेद रंग मै वफा होती है यारो,

अगर ऐसा होता तो आज “नमक”, जख्मो की दवा होती…!