आशिक था जो

आशिक
था जो मेरे अन्दर वो कई साल पहले मर गया…!अब
तो एक शायर है,
जो बहकी बहकी बाते करता है..!!

कभी यूँ भी

कभी यूँ भी हुआ है हंसते-हंसते तोड़ दी हमने…
हमें मालूम नहीं था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें..!!