तकदीर के रंग कितने अजीब है,
अनजाने रिश्ते है फिर भी हम
सब कितने करीब हैं !
Category: Hindi Shayri
घर ढूंढ़ता है
कोई छाँव, तो कोई शहर ढूंढ़ता है
मुसाफिर हमेशा ,एक घर ढूंढ़ता है।।
बेताब है जो, सुर्ख़ियों में आने को
वो अक्सर अपनी, खबर ढूंढ़ता है।।
हथेली पर रखकर, नसीब अपना
क्यूँ हर शख्स , मुकद्दर ढूंढ़ता है ।।
जलने के , किस शौक में पतंगा
चिरागों को जैसे, रातभर ढूंढ़ता है।।
उन्हें आदत नहीं,इन इमारतों की
ये परिंदा तो ,कोई वृक्ष ढूंढ़ता है।।
अजीब फ़ितरत है,उस समुंदर की
जो टकराने के लिए,पत्थर ढूंढ़ता है
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खुदा से मोहब्बत है
तुमसे नहीं तेरे अंदर बैठे खुदा से मोहब्बत है मुझे,
तू तो फ़क़त एक ज़रिया है मेरी इबादत का!
मौका दे दे
गालिब ने भी क्या खूब लिखा है…
दोस्तों के साथ जी लेने का
मौका दे दे ऐ खुदा…
तेरे साथ तो मरने के बाद भी
रह लेंगें ।
हम को वहम है
उड़ रही है पल – पल ज़िन्दगी रेत सी..!और हम को
वहम है कि हम बडे हो रहे हे..!!
खामोशी अलामत है
मेरी खामोशी अलामत है मेरे इखलाख की
इसे बेजूबानी ना समझो
शामिल नहीं हैं
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब,
नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे….!!!!
मुश्किलें तमाम है
जिन्दगी में मुश्किलें तमाम है,
फिर भी इन होठों पे मुस्कान है,
जीना जब हर हाल में है तो,
फिर मुस्कुराकर जीने में क्या नुकसान है !!
दिन क़रीब है
कह दो गमो से कहीं और बसेरा करे अब..!!
मेरे आक़ा की विलादत का दिन क़रीब है..!!
ठंडी नही होती
रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नही होती।
मैने फुटपाथो पर भी,जलते चूल्हे देखे है।