गिरती हुई बारिश

गिरती हुई बारिश के बूंदों को अपने हाथों से समेट लो,
जितना पानी तुम समेट पाए, उतना याद तुम हमें करते हो,
जितना पानी तुम समेट ना पाई, उतना याद हम तुम्हे करते हैं।

उसको मिलने से पहले

उसको मिलने से पहले

कहीं बार सोचा था,
उस से मिलने के बाद कहीं बार सोचा हैं।
वो जो मिलती हैं मुझे, मुझे मिल

क्यूँ नही जाती..??