हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है
संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है
संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है
अमीरी भी
क्या चीज़ है
कुत्ते, बिल्ली, तोता खुद पालते है
और खुद के बच्चे आया पालती है
कितने कमज़ोर है यह गुब्बारे, चंद सासों में फूल जाते है,
बस ज़रा सी बुलंदिया पाकर, अपनी औकात भूल जाते है…
जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!!
तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…
लहज़े में बदज़ुबानी,
चेहरे पे नक़ाब लिए फिरते है,
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े है
वो मेरा हिसाब लिए फिरते है…।।
जिन्दगी में एक बार वो
मेरी हो जाती
कसम खुदा की,
दुनिया की हर किताब से नाम बेवफाई
का मिटा देता..!!
बहुत देता है तू उसकी
गवाहियाँ और उसकी सफाईया
समझ नहीं आता तू मेरा दिल है या उसका वकील !!!
दिल की उम्मीदों का
हौसला तो देखो,
इन्तजार उसका.. जिसको एहसास तक नहीं.!!!
हमको टालने का
शायद तुमको सलीका आ गया. . .
बात तो करते हो लेकिन,अब तुम अपने नहीं लगते !!
बिछड़ने के कोई कायदे
कानून तो होने चाहिए….
ये क्या हुआ —
दिल खाली था तो रहने लगे
दिल भर गया तो चल दिए …