मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमको,….
भुला दिया सब ने ये कह कर की
“तुम तो अकेले भी खुश रह लेते
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमको,….
भुला दिया सब ने ये कह कर की
“तुम तो अकेले भी खुश रह लेते
फिर से बचपन लौट रहा है शायद,
जब भी नाराज होता हूँ खाना छोड़ देता हूँ.!!
मेरी ऊंचाइयों को देखकर हैरान है बहुत से लोग…
,पर किसी ने मेरे पैरों के छाले नहीं देखे…।
लफ्जों में उलझाना नहीं आता,
बात साफ है की,
बहुत याद आ रहे हो तुम…..
फ़रेब-ए- ज़िन्दगी खाकर भी चालाकी नहीं आई,
कि पानी में भी रहकर भी हमको तैराकी नहीं
आई…!
ख्वाहिश उनकी एक पुरानी साइकिल की है….
इमारतों के नीचे, जो महँगी गाड़ियाँ धोते हैं….
Kamaal hai na
Aankhein तलाब nahi hoti phir
bhi भर aati hai
.
Aur
.
Insaan मौसम nahi hota phir bi
बदल jaata hai.
गुमसुम बैठ न जाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!
सघन कालिमा जाल बिछाए,
राह देहरी नजर न आए,
विजय की राह दिखाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!
आ सकता है, कोई झोंका,
क्योंकि हवा को किसने रोका!
दोनों हाथ लगाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!!
Mere Lahje Ki Mithaas Tujhe Bahot Rulaygi
Jab Teri Be Rukhi par koi Be Rukhi Dikhayga
Mohabbat Lafzon Ki Mohtaaz Nahi Hoti!
Jab Tanhai Mein Apki Yaad Aati Hai,
Hontho Pe Ek Hi Fariyad Aati Hai…
Khuda Aapko Har Khushi De,
Kyonki Aaj Bhi Hamari Har Khushi Aapke Baad
Aati Hai.