आज दिल में एक अजीब सा दर्द है मेरे मौला ।
ये तेरी दुनिया है! तो यहाँ इंसानियत क्यों मरी है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आज दिल में एक अजीब सा दर्द है मेरे मौला ।
ये तेरी दुनिया है! तो यहाँ इंसानियत क्यों मरी है।
एक उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंनें,
जिसको अपना माना उसे कभी परखा नही..
ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना,
पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल के हैं..
त्यौहार के बहाने ही सही…
रिश्ते घर तो लौट आते है..
जो प्यासे हो तो अपने साथ रक्खो अपने बादल भी
ये दुनिया है विरासत में कुआँ कोई नहीं देगा
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
उम्र की ढलान में “इश्क़” होना कोई अचरज की बात नही
ं गेंद जब पुरानी हो जाती है तब “रिवर्स स्विंग” लेती है…।
कैसी भी हो एक
बहन होनी चाहिये……….।
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बड़ी हो तो माँ- बाप से बचाने वाली.
छोटी हो तो हमारे पीठ पिछे छुपने वाली……….॥
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बड़ी हो तो चुपचाप हमारे पाँकेट मे पैसे रखने वाली,
छोटी हो तो चुपचाप पैसे निकाल लेने वाली………॥
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छोटी हो या बड़ी,
छोटी- छोटी बातों पे लड़ने वाली,एक बहन होनी चाहिये…….॥
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बड़ी हो तो ,गलती पे हमारे कान खींचने वाली,
छोटी हो तो अपनी गलती पर,साँरी भईया कहने
वाली…
खुद से ज्यादा हमे प्यार करने वाली एक बहन होनी चाहिये….
बहुत मासूम हसरत है बताओ क्या किया जाए,
मुझे तुम से मोहब्बत है बताओ क्या किया जाए
Osny pucha chinni kitni..
Humny kaha sirf ungli ghuma do..!