टिफिन लिए
दफ्तरों की तरफ बढ़ते लोग,
इनमें खाना नहीं फिक्र भरी है ढेर
सारी..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
टिफिन लिए
दफ्तरों की तरफ बढ़ते लोग,
इनमें खाना नहीं फिक्र भरी है ढेर
सारी..!!
Tum Se Milne Ki Tamana Tu Kab Se Dil
Main Thi…!!!
!!!…Meri Hasrat, Teri Fursat Ki Talabgaar Hi
Rahi….
हर इसांन की ख्वाहिश होती है
कि सब
उसे पहचाने
,
पर
,
ये भी चिंता सताती है,
कि कोई सही में पहचान न ले…
मुक़म्मल होने की
ख़्वाहिश में हम…!…
और भी ज़्यादा
अधूरे हो जाते हैं…!!
अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का कि मुझे
भूल जाओ तो
मानूँ मोहब्बत है !
अधूरा ..अनसुना ही रह गया प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन न सके ..कभी मैं कह नही पाया !!
इजहारे मोहब्बत का जुनूँ गौर से देखो,
पहली ही मुलाकात में परवाना मर गया …
हम तो आगाज़े
मोहब्बत मैं ही लूट गये,
और लोग कहते है की अंजाम बुरा होता है !!
सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.
रात के गुल्लक में…
तुम्हारे….
ख्वाबो के सिक्के….
जमा करता हूं …!!