हमने काँटों को भी नरमी से छुआ है..
लोग बेदर्द हैं जो फूलो को भी मसल देते हैं..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हमने काँटों को भी नरमी से छुआ है..
लोग बेदर्द हैं जो फूलो को भी मसल देते हैं..
काश कोई अपना हो , आईने जैसा !
जो हसे भी साथ और रोए भी साथ…
मोहब्बत अब समझदार हो गयी है, हैसियत देख कर आगे बढ़ती है….
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही,
.
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है!
इतनी तो तेरी सूरत भी नहीं देखी मैने,
जितना तेरे इंतज़ार में घड़ी देखी है !!
मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहब्बत
इतनी..!!जो लोग बात नहीं करते वो प्यार क्या
करेंगे…!!
दहेज़ में तुम सिर्फ मेरे लिए अपनी
मोहब्बत लाना
हक़.ऐ महेर में तुमको हम अपनी
जिंदगी देंगे
कानों में डाल कर, मोतियों के फूल;
सोने का भाव उसने गिराया, अभी- अभी!
कितना अच्छा लगता है,
ये सुनना
जब कोई
व्यस्त होने पर भी ये बोले,
आप से ज़्यादा ज़रूरी नहीँ है
फना होने की इजाजत ली नहीं जाती
ये मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती