ज़ख़्म इतने गहरे हैं

ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें;

हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें;

मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें;

अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें।

समय की कीमत

समय की कीमत पेपर से पूछो जो सुबह चाय के साथ होता है, वही रात् को रद्दी हो जाता है”

इसलिए, ज़िन्दगी मे जो भी हासिल करना हो…
उसे वक्त पर हासिल करो…..
क्योंकि, ज़िन्दगी मौके कम और धोखे ज्यादा देती है…

सर्टिफिकेट देती है

20 साल की पढाई के बाद यूनिवर्सिटी यह जो डिग्री मिलने का सर्टिफिकेट देती है ना..
यह नोकरी मिलने का सर्टिफिकेट नहीं बल्कि ठोकरे खाने का सर्टिफिकेट है…