सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर…
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चीख भी लेता हू….और आवाज भी नही होती।
Category: Hindi Shayri
मां के पैर छूकर
बदल गया है जमाना, पहले मां के पैर छूकर घर से निकलते थे…
और अब मोबाईल फोन की
बैटरी फुल करके….
मेरी सादगी से
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर…!!
पैसौ की अमीरी तो आम बात है ..
दिल की अमीरी खुदा किसी किसी को देता है.
खुद को इश्क से
वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज समझती रही,
नादान इतना नही समझी कि इश्क चेहरे से नही नजरों से शुरू
होता है..!!
चलो छोड़ दो
चलो छोड़ दो मुझकों मग़र इतना तो बता दो
की तुम मुझें याद करते थे या वक़्त बर्बाद करते थे !!!
प्यार उम्मीद से
तुम आओ और कभी दस्तक तो दो इस दिल पर,
प्यार उम्मीद से काम हो तो सजा ए मौत दे देना..
अपनी महफ़िल से
ग़रीब समझकर आज उसने उठा दिया हमें अपनी महफ़िल से ?
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कोई मेरी ख़ातिर पूछे उनसे, क्या चाँद की महफ़िल में सितारे
नहीं होते ??
किसी गरीब को
किसी गरीब को मत सताना। वो तो बस रो देगा पर…
उपरवाले ने सुन लिया तो तू अपनी हस्ती खो देंगा..
कुछ दिन के लिए
कुछ दिन के लिए रूठ के अच्छा किया हुजूर…
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जितने अधूरे काम थे,निपटा दिए हमने………
दोस्तों से भरे
तू देख कि तुझसे इश्क करने में मुझे कैसे जीना पड़ गया
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दोस्तों से भरे शहर में दीवारों से लिपट कर रोना पड़ गया