जिन खिलौनों से खेलने की उम्र थी
उसकी……..
मैंने उन खिलौनों को उसे सड़क पर बेचता
पाया……!!!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिन खिलौनों से खेलने की उम्र थी
उसकी……..
मैंने उन खिलौनों को उसे सड़क पर बेचता
पाया……!!!!!
कब्र को देख के ये रंज होता है दोस्त ,,
के इतनी सी जगह के लिए मरना पड़ा ..
यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के ,,
लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है .
अकसर हकीकत जानते हुए भी,
सहारा-ए-फसाना लिये जा रहे हैं …!
लाख समझाया के शक करती है दुनिया,
मगर ना गयी आदत मेरी मुस्कुरा के गुजरने की..
वजह नफरतों की तलाशी जाती हैं,
मोहब्बतें तो बिन वजह ही हो जाया करती हैं.
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते
या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे .!
अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है…..
कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…
बरसों गुज़र गये , रो कर नही देखा,
आँखों में नींद थी,सो कर नही देखा,,
वो क्या जाने दर्द मोहब्बत का,
जिसने किसी को खो कर नही देखा
देखी जो नब्ज़ मेरी तो हसकर बोला हकीम….
जा दीदार कर उसका जो तेरे हर मर्ज़
की दवा है..