अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है…..
कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है…..
कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…
दुनिया में कोई पागल हाथी
भी इतनी तबाही नहीं मचाता,
जितना कि……
एक “बेक़ाबू मन” ।।
जंगल के उसूल वही जानते है
जिनकी यारी शेरों के साथ होती है..!!
हम ये नहीं चाहते की कोई आपके लिए ‘दुआ’ ना मांगे हम तो, बस इतना चाहते है की कोई ‘दुआ में ‘आपको’ ना मांगे ….!
Dosto ज़िंदगी में बिछड़ गए अगर इतेफ़ाक़ से__
तो हमें देखके नज़रें ना चुरा लेना!
कहीं देखा है आपको शायद__
बस यही कह के हाथ मिला
शायरी में सिमटते कहाँ हैं दिल के दर्द
दोस्तों,
बहला रहे हैं खुद को, जरा अल्फाज़ो के साथ!
मॊहब्बत यू ही किसी से हुआ नहीं करती…
अपना वज़ूद भुलाना पड़ता है,किसी को अपना बनाने के लिए…॥
कैसे हो सकता है होनी कह के हम टाला करें
और ये दुश्मन बहू-बेटी से मुँह काला करे
इस मतलबी दुनिया का, बस यही तोहफा है ।
खूब लुटाया अपनापन फिर भी,जाने क्यों लोग खफा हैं ।
बिछड़ने वाले तेरे लिए, एक “मशवरा” है ,
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कभी हमारा “ख्याल” आए, तो अपना
‘ख्याल’ रखना…..