मजबूरियाँ पे न हँसिये

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये, कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता… डरिये वक़्त की मार से, बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता… अकल कितनी भी तेज ह़ो, नसीब के बिना नही जित सकती.. बिरबल अकलमंद होने के बावजूद, कभी बादशाह नही बन सका !!!

कभी ना मिल पाये

नदी के किनारों की तरह शायद हम तुम कभी ना मिल पाये… पर समन्दर में मिलने तक तुम मेरे साथ तो चलो…

हमदर्द नहीं होता

इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं। “और कितना वक़्त लगेगा”…

शौक पूरे करो

शौक पूरे करो…. ज़िन्दगी तो खुद ही एक दिन पूरी हो जाएगी…!

अब भी अंदाज़ मेरे

मत देखो, ऐसी नज़रों से, मुझको अय! हमराज़ मेरे . मेरा शरमाना, ज़ाहिर कर देता है सब राज़ मेरे. कितनी बार मशक्क़त की, पर सीधी माँग नहीं निकली. लगता है कल रूठे साजन, अब भी हैं नाराज़ मेरे. बरसों पहले, डरते – डरते ,बोसा एक चुराया था. आज तलक कहती हैं के ‘जानम हैं धोखेबाज़… Continue reading अब भी अंदाज़ मेरे

मशहूर थे जो लोग

मशहूर थे जो लोग समंदर के नाम से आँखे मिला नहीं पाए मेरे खाली जाम से ऐ दिल ये बारगाह मोहब्बत की है यहाँ गुस्ताखियाँ भी हो तो बहुत एहतराम से मुरझा चुके है अब मेरी आवाज़ के कँवल मैंने सदाएं दी है तुझे हर मक़ाम से कुछ कम नहीं है तेरे मोहल्ले की लड़कियां… Continue reading मशहूर थे जो लोग

जहान की खिलावट

जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा, गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा, मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब, तुम पागल हो जाओगे पर यह शेर समझ नहीं आएगा….

जीत से होती है

उसकी जीत से होती है खुशी मुझको, यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था…॥

गुड़ियों से खेलती

गुड़ियों से खेलती हुई बच्ची की गोद में आंसू भी आ गया तो समंदर लगा हमें

एक ज़रा सी

एक ज़रा सी जोत के बल पर अंधियारों से बैर पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं

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