मजबूरियाँ पे न हँसिये

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता…

डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता…

अकल कितनी भी तेज ह़ो,
नसीब के बिना नही जित सकती..

बिरबल अकलमंद होने के बावजूद,
कभी बादशाह नही बन सका !!!

हमदर्द नहीं होता

इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,

लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।

“और कितना वक़्त लगेगा”…

अब भी अंदाज़ मेरे

मत देखो, ऐसी नज़रों से, मुझको अय! हमराज़ मेरे .
मेरा शरमाना, ज़ाहिर कर देता है सब राज़ मेरे.

कितनी बार मशक्क़त की, पर सीधी माँग नहीं निकली.
लगता है कल रूठे साजन, अब भी हैं नाराज़ मेरे.

बरसों पहले, डरते – डरते ,बोसा एक चुराया था.
आज तलक कहती हैं के ‘जानम हैं धोखेबाज़ मेरे’.

आज मेरे अंजाम पे कुछ आँखों से पानी बरसेगा,
इन आँखों ने देखे थे, कुछ जोशीले आग़ाज़ मेरे .

तख़्त ओ ताज गया ,मेरी जागीर गयी,दस्तार गयी.
शाहाना क्यों लगते हैं, उनको अब भी अंदाज़ मेरे

मशहूर थे जो लोग

मशहूर थे जो लोग समंदर के नाम से
आँखे मिला नहीं पाए मेरे खाली जाम से

ऐ दिल ये बारगाह मोहब्बत की है यहाँ
गुस्ताखियाँ भी हो तो बहुत एहतराम से

मुरझा चुके है अब मेरी आवाज़ के कँवल
मैंने सदाएं दी है तुझे हर मक़ाम से

कुछ कम नहीं है तेरे मोहल्ले की लड़कियां
आवाज़ दे रही है मुझे तेरे नाम से

जहान की खिलावट

जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा,

गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा,

मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब,

तुम पागल हो जाओगे पर यह शेर समझ नहीं आएगा….

एक ज़रा सी

एक ज़रा सी जोत के बल पर अंधियारों से बैर
पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं