या न था दहर में उनके सिवा जालिम कोइ,
या सिवा मेरे कोई और गुनहगार न था।
Category: Hindi Shayri
दिल ए तबाह
दिल ए तबाह को ज़ख़्मों की कुछ कमी तो नहीं
मगर है दिल की ये तमन्ना तुम एक वार और करो
मोहब्बत क्यूँ करेगी
सियासत भी तवायफ़ है मोहब्बत क्यूँ करेगी वो
भला किस वक्त घुंघरू इसके मक्कारी नहीं करते
मेरी बाहों के
इश्क का तू हरफ।।जिसके चारों तरफ।।मेरी बाहों के घेरे का बने हासिया
मज़हबी दंगे में
ज़िन्दगी भर रामलीला में लड़े सच की तरफ
मज़हबी दंगे में वो मारे गए रहमत मिया|
बाढ़ का पानी
बाढ़ का पानी घरों की छत तलक तो आ गया
रेडियो पर बज रहा मौसम सुहाना आएगा|
जलील ना किया
जलील ना किया करो किसी फकीर को
ऐ दोस्त….
वो भीख लेने नही तुम्हें दुआएँ देने आता है..
जब तक सत्य
जब तक “सत्य” घर से बाहर निकलता है.
तब तक “झूठ” आधी दुनिया घूम लेता है”
कांटे वाली तार पे
कांटे वाली तार पे किसने गीले कपड़े टांगे हैं
खून टपकता रहता है और नाली में बह जाता है
क्यूँ इस फ़ौजी की बेवा हर रोज़ ये वर्दी धोती है
वादो से बंधी जंजीर
वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने…
अब से जल्दी सोया करेँगेँ, मोहब्बत छोड दी मैँने…!!!