दिल ए तबाह

दिल ए तबाह को ज़ख़्मों की कुछ कमी तो नहीं
मगर है दिल की ये तमन्ना तुम एक वार और करो

कांटे वाली तार पे

कांटे वाली तार पे किसने गीले कपड़े टांगे हैं
खून टपकता रहता है और नाली में बह जाता है
क्यूँ इस फ़ौजी की बेवा हर रोज़ ये वर्दी धोती है