मुझको धोका हो गया

अपनों को अपना ही समझा ग़ैर समझा ग़ैर को गौर से देखा तो देखा मुझको धोका हो गया

देखा है मैंने

देखा है मैंने बड़ा इतराये फिरते थे वो अपने हुस्न-ए- रुखसार पर … बड़े मायूस हो गए है यारो…. जबसे देखी है अपनी तस्वीर कार्ड-ए-आधार पर

मै इश्क का

मै इश्क का मुफ़्ती तो नहीं.. मगर ये मेरा फतवा है।।।। जो राह में छोड़ जाए… वो काफ़िर से भी बदतर है।।।।

सरहाने आहिस्ता बोलो

सरहाने  आहिस्ता बोलो अभी टुक रोते-रोते सो गया है

कोई ले रहा मजे

कोई ले रहा मजे बरिश मे भीग कर!! कोई रो रहा बरिश से बरबाद होकर” आखिर लिखूं तो क्या लिंखू

जब दर्द होता है

जब दर्द होता है …तुम बहुत याद आते हो जब तुम याद आते हो…बहुत दर्द होता है

हर बार सम्हाल लूँगा

हर बार सम्हाल लूँगा गिरो तुम चाहो जितनी बार, बस इल्तजा एक ही है कि मेरी नज़रों से ना गिरना…!

रिश्तों का सवाल है

जहां तक रिश्तों का सवाल है….. लोगो का आधा वक़्त…. “अन्जान लोगों को इम्प्रेस करने और अपनों को इग्नोर करने में चला जाता हैं…!!

इक निगह कर के

इक निगह कर के उसने मोल लिया बिक गए आह, हम भी क्या सस्ते

जो दिल के दर्द

जो दिल के दर्द को भुलाने को दारु पीता है, वो चखना नहीं खाता चखना तो कमीने दीलासा देने वाले साफ कर जाते है|

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