देखा है मैंने

देखा है मैंने बड़ा इतराये फिरते थे वो अपने हुस्न-ए-
रुखसार पर …
बड़े मायूस हो गए है यारो….
जबसे देखी है अपनी तस्वीर कार्ड-ए-आधार पर

मै इश्क का

मै इश्क का मुफ़्ती तो नहीं..
मगर ये मेरा फतवा है।।।।
जो राह में छोड़ जाए…
वो काफ़िर से भी बदतर है।।।।

रिश्तों का सवाल है

जहां तक रिश्तों का सवाल है…..
लोगो का आधा वक़्त….
“अन्जान लोगों को इम्प्रेस करने और अपनों को इग्नोर करने में चला जाता हैं…!!

जो दिल के दर्द

जो दिल के दर्द को भुलाने को दारु पीता है, वो चखना नहीं खाता

चखना तो कमीने दीलासा देने वाले साफ कर जाते है|