हताशा मे डूबी माँ के आंसू जब औलाद पोंछती है..!! हर कर्ज अदा हो जाता है..ममता धन्य हो जाती है..!!
Category: Hindi Shayri
ज़ख्म कैसे भी हों
ज़ख्म कैसे भी हों भर जाते हैं रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी ठोकरें खा- खा के, संभलती रहती है…
जब रात को नींद
जब रात को नींद ना आये, और दिल की धड़कन भी बढ़ जाये.. . तब.. . दूसरों की नींद खराब करो, शायद.. उनकी दूआ से आपको नींद आ जाये..
जब जब ये चेहरा
जब जब ये चेहरा..! उदास हुआ। झुर्रियों ने पूछा…? मौत के कितने पास हुआ
कैसे शिकारी हो
तिरछी निगाहों से न देखो हुस्न की शमशीर को, कैसे शिकारी हो यारा सीधा तो कर लो तीर को
मुल्क का दस्तूर
जिन कायदों को तोड़ के मुजरिम बने थे हम वो क़ायदे ही मुल्क का दस्तूर हो गए
पलकें भी चमक जाती
पलकें भी चमक जाती हैं सोते में हमारी, आंखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।
मैं अपनी धुन में
मैं अपनी धुन में आग लगाता चला गया सोचा न था कि ज़द में मेरा घर भी आएगा
मृत्यु के बाद
मृत्यु के बाद यही है जीवन का कड़वा सच:- 1:-“पत्नी ” मकान तक ? 2:-“समाज”शमशान तक 3:-“पुत्र”अग्निदान तक ♨ सिर्फ आप के “कर्म” भगवान तक
बात वक्त वक्त की
है बात वक्त वक्त की चलने की शर्त है साया कभी तो कद के बराबर भी आएगा