उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था |
हम हो गए तुम्हारे,
तुम्हें सोचने के बाद;
अब न देखेंगे किसी को,
तुम्हें देखने के बाद;
दुनिया छोड़ देंगे,
तुम्हें छोड़ने के बाद;खुदा!
माफ़ करे इतने झूठ बोलने के बाद!
मेरी गुमशुदगी की जब तफ्शीश हुई,
मैं बरामद हुआ उनके ख्यालों में…
लहरों की ज़िद पर क्यों अपनी शक़्ल बदल लेतीं है ,
दिल जैसा कुछ होता होगा शायद इन चट्टानों में।
ठान लिया था कि अब और शायरी
नही लिखेंगे पर उनका पल्लू गिरा देखा और
अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे|
किस्सा बना दिया एक
झटके में उसने मुझे,
जो कल तक मुझे
अपना हिस्सा बताता था !!
किसी के अंदर जिंदा रहने की
ख्वाहिश में …
हम अपने अंदर मर जाते हैं …
कोशिश तो रोज़ करते हैं के वक़्त से समझौता कर लें….
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कम्बख़्त दिल के कोने में छुपी उम्मीद मानती ही नहीं…
अपने साथ मेरी नींद भी ले गए,
फिर ये साँसों पर मेहरबानी क्यों…
मोहब्बत रूह में उतरा हुआ मौसम है …..
ताल्लुक कम करने से मोहब्बत कम नहीं होती….