याद ही नहीं रहता कि लोग
छोड़ जाते हैं.
आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
याद ही नहीं रहता कि लोग
छोड़ जाते हैं.
आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया|
मै तो ग़ज़ल सुना कर अकेला खडा रह गया
सुनने वाले सब अपने चाहने वालों में खो गए..
तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना,
खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है…
आइना फिर आज रिश्वत लेते पकड़ा गया…
दिल में दर्द था, फिर भी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया….!
चलो तोड़ते हैं आज मोहब्बत के सारे के उसूल अपने,अब से बेवफाई और दगाबाज़ी दोनों हम करेंगे!
बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को,
कि धुल जाए स्याही,
ज़िन्दगी तुझे फिर से लिखने का
मन करता है कभी- कभी।।
मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में,
. . .
इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं…
जिंदगी जख्मो से भरी हैं वक़्त को मरहम बनाना सीख लो , हारना तो मौत के सामने फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो…
जख्म तो हम भी अपने दिल पर तुमसे भी गहरे रखते हैं,…
पर हम अपने जख्मों पर मुस्कुराहटों के पहरे रखते है..!!
धुप से जल कर मरा है वो,
कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!