बहुत दिनों से इन आँखों को यही समझा रहा हूँ मैं
ये दुनिया है यहाँ तो इक तमाशा रोज़ होता है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बहुत दिनों से इन आँखों को यही समझा रहा हूँ मैं
ये दुनिया है यहाँ तो इक तमाशा रोज़ होता है|
उनकी गहरी नींद का मंज़र भी
कितना हसीन होता होगा..
तकिया कहीं.. ज़ुल्फ़ें कहीं..
और वो खुद कहीं…!!
दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब…..
लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का….
आज़ाद पंछी बनने का मज़ा ही
अलग है..
अपनी शर्तों पर जीने का….नशा
ही अलग है |
मिलन की रुत से मुहोब्बत को तराशने वालों,
अकेले बैठ के रोना भी प्यार होता हैं..!!
समझ में नहीं आता वफा करें तो किससे करें …!
मिट्टी से बने लोग
काग़ज़ के टुकडों पे बिक जाते हैं …!!
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ,
मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..
यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के,
लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है।
उस दुकान का पता दो जहा लिखा हो,
” साहिब ”
टूटे दिल का काम तसल्ली-बक्श
किया जाता हैं
विश्वास कीसी पे इतना करो वो तुम्हें फंसाते समय खुद को दोषी समजे
प्यार किसीसे इतना करो की उसके मन तुम्हें
खोने का डर हमेशा बना रहे….