कांटो से बच बच के चलता रहा उम्र भर..
क्या खबर थी की..
चोट एक फूल से लग जायेगी|
Category: Hindi Shayri
ज्यादा कुछ नहीं बदलता
ज्यादा कुछ नहीं बदलता
उम्र बढने के साथ…
बचपन कि जिद
समझोतों में बदल जाती है..!!
मेरे मिज़ाज को
मेरे मिज़ाज को समझने के लिए,
बस इतना ही काफी है,
मैं उसका हरगिज़ नहीं होता…..
जो हर एक का हो जाये।
हम पर उंगलिया
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।
वो महफिल में
वो महफिल में नही खुलता है
तन्हाई में खुलता है
समंदर कितना गहरा है
ये गहराई में खुलता है !!
नश्तरों सा सलूक
नश्तरों सा सलूक ना कीजिये हमसे
मैंने हमेशा आपको गुलाब लिक्खा है !!
उड़ा भी दो रंजिशें
उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो
छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !
तेरे शहर के कारीगर
तेरे शहर के कारीगर भी अजीब हैं ऐ दिल….
काँच की मरम्मत करते हैं , पत्थर के औजारों से..
समझ लेता हूँ
समझ लेता हूँ मीठे लफ्जों की कडवाहटें..हो गया है अब जिंदगी का तजुर्बा थोडा बहुत..
बगावत पर उतर आयें हैं
दर्द फिर बगावत पर उतर आयें हैं सभी ,
लगता है जख्मों को तूने कुरेदा है अभी ।