जिसने कभी एक भी कसम ना निभाई मोहब्बत की…!!!
वो मुझे बेवफा और मोहब्बत को बेईमान बता गयी|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिसने कभी एक भी कसम ना निभाई मोहब्बत की…!!!
वो मुझे बेवफा और मोहब्बत को बेईमान बता गयी|
बहुत याद करता है हमें कोई।
दिल से ये बहम जाता क्यों नहीं।।
छीन लिया जब ज़िन्दगी ने, ख्वाईशो को मुज से।
पैर मेरे खुद-ब-खुद, चादर के अंदर आ गये।
ये भी एक अदा है उनकी अदावत की।
जब जब हमने रोज़ा रखा, उन्होने दावत दी।
बहुत कुछ बदला है मैंने अपने आप में लेकिन
अभी भी तुम्हें टूटकर चाहना हम नहीं भूल सके है …
एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार
ना करना !!!!
बस फिर क्या था,तब से मोहब्बत
की नज़र से हमने खुद को भी नहीं देखा|
माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में…
मुझे बहुत प्यारी है तुम्हारी दी हुई हर एक निशानी,
चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखों का पानी !!
ख़ुशी मेरी तलाश में
दिन रात यूँ ही भटकती रही..
कभी उसे मेरा घर ना मिला,
कभी उसे हम घर पे ना मिले….!!
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ,
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ….