नींद आँखों में लिये, सुस्त पड़ी है कागज पर,
थकान लफ्ज़ों की मेरे, उतरी नहीं अब तक…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नींद आँखों में लिये, सुस्त पड़ी है कागज पर,
थकान लफ्ज़ों की मेरे, उतरी नहीं अब तक…
कमाल का ताना मारा है आज जिन्दगी ने की,
अगर कोई तेरा है तो वो तेरे पास क्यूँ नहीं है !!
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ…
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ..
मेरे हाथों को मालूम है तुम्हारे गिरेबानों का पता,
चाहूं तो पकड़ लूं पर मजा आता है माफ करने में ।
तुम्हारी बात तुम्हारे ख्यालों में गुमसुम !!
सभी ने देख लिया मुझको मुस्कुराते हुए !!
तुम नहीं आओगी कभी यह जानता हूँ ,
फिर भी दरवाजे पर हर दस्तक मुझे अपनी सी लगती है |
कुछ तो असर था उसकी मुस्कराहट
मे तभी तो..!!आज भी ये दिल दुनिया कि भिड़ मे
उसे ही ढूंढता है..!!
अभी-अभी एक टूटा तारा
देखा बिलकुल मेरे जैसा था,
चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा
बिलकुल तेरे जैसा था !
कभी उदास बेठे हो तो बताना…
पगली
हम फिर से दिल दे देंगे खेलने के लिए
हमने गुज़रे हुए लम्हों का
हवाला जो दिया,
हँस के वो कहने
लगे रात गई बात गई|