हम तो हद से गुजर गए तुझे चाहने में,,,
तुम्ही उलझे रहे हमें आजमाने में….!
Category: Hindi Shayri
नुमाइश पर बदन की
नुमाइश पर बदन की यूँ कोई तैयार क्यों होता
अगर सब घर के हो जाते तो ये बाज़ार क्यों होता..
सारे हुनर हम पर यूँ
ज़ुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाए
जुल्म भी सहा हमने और जालिम भी कहलाये|
कोई नहीं है
कोई नहीं है दुश्मन अपना फिर भी परेशान हूँ मैं,
अपने ही क्यूँ दे रहे है जख्म इस बात से हैरान हूँ मैं !!
दौड़ती भागती दुनिया का
दौड़ती भागती दुनिया का ये ही तोहफा है…
खूब लुटाते रहे अपनापन , फिर भी लोग खफा है ..!!
पैसे गिनने में
पैसे गिनने में उस्ताद हैं ये उंगलियाँ…
किसी के आंसू पोंछने में ही क्यूँ बेकार है….??
जो बेचैन है
अहसास हैं, जो बेचैन है जाहिर होने को..
और अलफ़ाज हैं,
वो कमब्ख़्त हङताल किये बैठे हैं..
अंग्रेजी की किताब
अंग्रेजी की किताब बन
गयी हो तुम……..
पसंद तो बहुत आती हो पर समझ
नही आती हो…
भिगों कर रख दिया
भिगों कर रख दिया
तुम्हारी यादों ने इतना,
कि बारिश में भीगने का
अब मन नहीं करता…
अपनी मोहब्बत को
अपनी मोहब्बत को खोकर भी जो संभल जाते है,
बहोत मजबूत हो जाते है वो लोग जिन्दगी में !!