ज़रूरी नहीं के में कुछ कहु,
लेकिन लाज़िम है की तुम समजो|
Category: Hindi Shayri
जिस क़दर उसकी
जिस क़दर उसकी क़दर की हमनें !!
उस क़दर बेक़दर हो गए हम..
मेरी बेकरारी देखी है
मेरी बेकरारी देखी है ,अब सब्र भी देख,,
मैं इतना खामोश हो जाऊँगा तू चिल्ला उठेगी..!
दिल और दिमाग लड़ते है
दिल और दिमाग लड़ते है आपस में दो मुल्को की तरह तेरे लिये…
इसमें तुम्हारा भी दोष नही,तुम हो ही कश्मीर सी सुन्दर..!!
देखकर दर्द किसी का
देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है,
बस इतनी सी बात आदमी को इन्सान बनाती है…..
ना मेरा प्यार कम हुआ
ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत ,अपना अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये..!!
आरजू थी कि
आरजू थी कि एक लम्हा जी लूँ,
तेरे कन्धे पै सर रख के,
मगर ख्वाब तो ख्वाब हैं पूरे कब होते हैं..
कितनी भूखी होती है
कितनी भूखी होती है गरीब की ज़िन्दगी
गरीब के हिस्से का बचपन भी खा जाती है…
काफी नही फ़क़ीरी
काफी नही फ़क़ीरी में दुनिया को छोड़ना, कुछ आपका मिजाज भी ‘रूहानी’ होना चाहिए..
हम कुछ ऐसे
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं;
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते है…