खिड़की के बाहर का मौसम बादल, बारिश और हवा…
खिड़की के अन्दर का मौसम आँसू, आहें और दुआ !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खिड़की के बाहर का मौसम बादल, बारिश और हवा…
खिड़की के अन्दर का मौसम आँसू, आहें और दुआ !
ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है
कभी एक हसीन सा ख्वाब है
कभी जानलेवा अज़ाब है।
सोचा ही नहीं था..
जिन्दगी में ऐसे भी फ़साने होगें…!!
रोना भी जरूरी होगा..
और आँसू भी छुपाने होगें…!!!
आँखें थक गई है शायद
आसमान को तकते तकते…,
वो तारा नहीं टुटता..
जिसे देखकर मैं तुम्हें माँग लूँ ….
तुम्हारी बेरुखी पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने,
अगर तुम मेहरबां होती, हमारा हाल क्या होता….
हजार ख्वाहिशें एक साथ हमने तोलकर देखी
उफ्फ़ चाहत उसकी फिर भी सब पे भारी थी
इधर आओ जी भर के हुनर आज़माएँ,
तुम तीर आज़माओ, हम ज़िग़र आज़माएँ..
पत्तें से गिरती बून्द हो या गीले बालों से…
मौसम का असर तो दोनों पर ही जवां हैं..
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है
हर मर्ज की दवा है वक्त ..
कभी मर्ज खतम,
कभी मरीज खतम..।