मैं राज़ तुझसे कहूँ, हमराज़ बन जा ज़रा.
करनी है कुछ गूफतगू, अलफ़ाज बन जा ज़रा…
Category: Hindi Shayri
मुझे गुनहगार साबित करने की
मुझे गुनहगार साबित करने की ज़हमत ना उठा,
बस ख़बर कर दे क्या क्या क़ुबूल करना है…!
लिफाफे मे बंद कर लो
लिफाफे मे बंद कर लो तुम अपनी ये जिंदगी..
खुली किताब के पन्ने अक्सर उड़ जाया करते हॆ…
टोक देता है
टोक देता है क़दम जब भी गलत उठता है
ऐसा लगता है कोई मुझसे बड़ा है मुझमें
अधूरा अनसुना सा
अधूरा अनसुना सा रह गया यूँ प्यार का किस्सा..
कभी तुम सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया…
मुझे याद नहीं
मुझे याद नहीं करना पड़ता कुछ भी …सब साथ साथ चलता है मेरे ..जो है वो भी ..जो गुज़र गया वो भी ।
कुछ और जज्बातो को
कुछ और जज्बातो को बेताब किया उसने,
आज मेहंदी वाले हाथो से आदाब किया उसने..!!
किस बात पे रूठा है
किस बात पे रूठा है पता चले तो मनाऊं उसे,
वो रूठ तो जाता है लेकिन शिकायत नहीं करता..
एक तुम को
एक तुम को अगर चुरा लूँ मैं….
हाय !
सारा जमाना गरीब हो जाये….!!
बग़ैर जिसके एक
बग़ैर जिसके एक पल भी गुज़ारा नहीं
होता,
सितम देखिये वही शख़्स हमारा नहीं
होता !!