जिस्म हूँ खोखला सा मैं…
मेरी रूह कोई और है
पी लेता हूँ मय के प्याले दो…
पर नशा तो मेरा कोई और है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिस्म हूँ खोखला सा मैं…
मेरी रूह कोई और है
पी लेता हूँ मय के प्याले दो…
पर नशा तो मेरा कोई और है
दुपट्टा क्या रखलिया उसने सर पर .
वो दुल्हन नजर आने लगी
उसकी तो अदा हो गई
और जान लोगो की जाने लगी|
तुम न लगा पाओगे अंदाज़ा मेरी उदासी का….
तुमने मुझे देखा ही कहाँ है शाम गुज़रने के बाद !!
तुम वाकिफ नही हो मेरी बेताबी से…
इसलिए सब्र की बात करते हो…
मेरी नज़रे तो उन राहो को भी चूमती है..
जहाँ से तुम एक बार निकलते हो!!
संगमरमर के महल में तेरी ही तस्वीर सजाऊंगा;
मेरे इस दिल में ऐ प्यार तेरे ही ख्वाब सजाऊंगा;
यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा;
मैं तो प्यार का हूँ प्यासा जो तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा।
सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा…!
जितना देखेंगे तुम्हें उतना ही प्यार आएगा….!!!
अधूरी सी दास्तान अब पूरी लगती है…
तेरे नाम की साँसे मुझमें ज़रूरी लगती हैं !!
हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे;
वो भी पल पल हमें आजमाते रहे;
जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया;
हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे।
सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली;
एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली;
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर;
हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।
हुआ जब इश्क़ का एहसास उन्हें;
आकर वो पास हमारे सारा दिन रोते रहे;
हम भी निकले खुदगर्ज़ इतने यारो कि;
ओढ़ कर कफ़न, आँखें बंद करके सोते रहे।