अपनी सांसो भी कर दी हैं तेरी साँसों में शामिल
अब इस से ज्यादा तू ही बता तुझे और कैसे चाहूँ|
Category: Hindi Shayri
ज़माने की रीत है…!
भूलना तो ज़माने की रीत है…!!!
मग़र तुमने शुरुआत मुझसे क्यों की…!!!
दौलत की दीवार ने
दौलत की दीवार ने, कुछ यूँ तब्दील रिश्ते कर दिये….
देखते ही देखते भाई मेरा, पड़ोसी हो गया….!!!!
तूने तीर चला कर
तूने तीर चला कर फक़त दाद की वसूल……
सीने पे हमने खा के ….ज़माना हिला दिया….
एक और मुलाकात
एक और मुलाकात के बहाने की ख़ातिर
छुपाकर उनका रूमाल अपने पास रख लिया…!!
एक सवाल पूछती है
एक सवाल पूछती है मेरी रूह अक्सर,
मैंने दिल लगाया है या ज़िंदगी दाँव पर…!
ज़िंदगी तेरे सफर से
यूँ तो ऐ ज़िंदगी तेरे सफर से शिकायतें बहुत थी।
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे तो कतारें बहुत थी।।
उम्र छोटी है
उम्र छोटी है तो क्या, ज़िंदगी का हरेक मंज़र देखा है।
फरेबी मुस्कुराहटें देखी हैं, बगल में खंजर देखा है।।
यही सोच कर
यही सोच कर बड़ी देर से एक करवट हूँ…
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किसी की याद न दब जाए कहीं…
चाँद रोज़ छत पर
चाँद रोज़ छत पर आकर इतराता बहुत है …
कल रात , मैं भी तेरी तस्वीर दिखा दूँगी !!!